बुधवार, अक्तूबर 19, 2011

आदि का स्टाइल


उफ....आदि के इस स्टाइल का कहना की क्या। यह तस्वीर 17 जुलाई 2011 की है।

आदि का स्टाइल


उफ....आदि के इस स्टाइल का कहना की क्या। यह तस्वीर 17 जुलाई 2011 की है।

आदि की अदा


उफ....आदि के इस स्टाइल का कहना की क्या। यह तस्वीर 17 जुलाई 2011 की है।

ड्राइवर सीट पर आदि


आदि को गाड़ियां बेहद ही पसंद है। यह तस्वीर 17 जुलाई 2011 की है।

उफ....ये अदा!


आदि को नए कपड़े पहनकर फोटो खिंचवाना बेहद पसंद है। यह तस्वीर 11 अक्टूबर 2011 की है।

उफ....ये अदा!


खुले बाल और नए कपड़े में आदि का तो कहना ही क्या...। यह तस्वीर 11 अक्टूबर 2011 की है।

रविवार, अक्तूबर 16, 2011

आदि का घोड़ा


बेचारा घोड़ा....आदि का भी भार नहीं सह पाया और दम तोड़ दिया। यह तस्वीर 6 अक्टूबर 2011 को ली गई थी।

आदि का घोड़ा


घोडा को खड़ा कर आखिर किस सोच में डूबा है आदि......। यह तस्वीर 6 अक्टूबर 2011 को ली गई थी।

आदि का घोड़ा


आदि इस बार नोएडा स्टेडियम में दशहरा देखने गया। घोड़ा देखते ही आदि खरीदने की जिद कर बैठा। घर में घोड़ा आते ही आदि की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह तस्वीर 6 अक्टूबर 2011 को ली गई थी।

स्माइल छोटा डाउन


...और छोटा डाउन मुस्कुरा उठा। यह तस्वीर 5 अक्टूबर 2011 को ली गई थी।

भीगे बाल मेरे....


आदि का यह लुक पापा-मम्मी को बेहद पसंद है। तो ए ‌हसीनों जरा बचकर रहना....। यह तस्वीर 27 सितंबर 2011 को ली गई थी।

भीगे बाल मेरे....


आदि का यह लुक पापा-मम्मी को बेहद पसंद है। तो ए ‌हसीनों जरा बचकर रहना....। यह तस्वीर 27 सितंबर 2011 को ली गई थी।

छोटा डाउन


आदि इस लुक में खुद को छोटा डाउन कहता है। तो जरा बचकर रहिएगा....। यह तस्वीर 27 सितंबर 2011 को ली गई थी।

छोटा डाउन


आदि इस लुक में खुद को छोटा डाउन कहता है। तो जरा बचकर रहिएगा....। यह तस्वीर 20 सितंबर 2011 को ली गई थी।

आदि की नई 'टोपी'


पापा ने टोपी नहीं लाई तो टोपिया को हो कैप बना दी। मन बहलाने की नई तरकीब। यह तस्वीर 18 सितंबर 2011 को ली गई थी।

पापा का स्टाइल


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यहां पापा का अलग स्टाइल दिख रहा है। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


'पहाड़ों की रानी' यानी मसूरी का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

मसूरी टूर


फूफाजी की गोद में आदि। तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

देहरादून टूर


देहरादून का बुद्धा टेंपल। उस समय देहरादून में खूब बारिश हो रही थी। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

श्री के साथ आदि


ये है मेरी बहन श्री। यानी अमरेश अंकल की सुपुत्री। मैं अपने-मम्मी के साथ श्री से मिलने उसके घर गया था। वहां हमलोगों ने खूब मस्ती की। यह तस्वीर 9 अगस्त 2011 को ली गई थी।

श्री के साथ आदि


ये है मेरी बहन श्री। यानी अमरेश अंकल की सुपुत्री। मैं अपने-मम्मी के साथ श्री से मिलने उसके घर गया था। वहां हमलोगों ने खूब मस्ती की। अभी मैं कोल्ड ड्रिंक पी रहा हूं। यह तस्वीर 9 अगस्त 2011 को ली गई थी।

आदि की मूंछ


आदि को मूंछ रखना बेहद पसंद है। यह तस्वीर 30 जुलाई 2011 को ली गई थी।

मेरा फेवरिट झूला


आदि ने घूमने के लिए नोएडा में एक पार्क यानी ऑफिस खोज निकाला है। वैसे झूला पर झूलने का अपना ही मजा है। यह झूला मुझे बेहद ही पसंद है। यह तस्वीर 29 मई 2011 को ली गई थी।

झूले पर आदि


आदि ने घूमने के लिए नोएडा में एक पार्क यानी ऑफिस खोज निकाला है। वैसे झूला पर झूलने का अपना ही मजा है।

रेलवे स्टेशन पर आदि


आदि मम्मी-पापा के साथ दिल्ली आ रहा है। लोकल स्टेशन 'महरैल' के प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार करता आदि। मेरे साथ मम्मी, बाबुल भाईजी और सेंटू भैया। तस्वीर 18 जुलाई 2010 को ली गई थी।

मम्मी की गोद में आदि


ये है मेरी प्यारी मम्मी। यह तस्वीर 25 मई 2010 को ली गई थी।

छठ घाट का नजारा


आदि के गांव में छठ खूब धूमधाम से मनाया जाता है। घाट पर दादी, फुआ और दीदी भी मौजूद हैं। यह तस्वीर 12 नवंबर 2010 को ली गई थी।

छठ घाट का नजारा


आदि के गांव में छठ खूब धूमधाम से मनाया जाता है। यह तस्वीर 12 नवंबर 2010 को ली गई थी।

ये है मेरा स्टाइल....


एक हाथ में पेड़ा तो दूसरे में मोबाइल। ये है मेरा खाने का स्टाइल। यह तस्वीर 12 नवंबर 2010 को ली गई थी।

दिल्ली टू दरभंगा


आदि अपने मम्मी-पापा के साथ दिल्ली से दरभंगा जा रहा है। ट्रेन है संपर्क क्रांति एक्सप्रेस। यह तस्वीर 2 अगस्त 2010 को ली गई थी।

आदि का टशन


ये है आदि का न्यू स्टाइल। यह तस्वीर 1 अगस्त 2010 को ली गई थी।

शनिवार, अक्तूबर 15, 2011

गोलू भैया के साथ


ये हैं मेरे गोलू भैया। यह तस्वीर 1 अगस्त 2010 को ली गई थी।

नींद की आगोश में आदि


अभी मैं सो रहा हूं। जुलाई 2010 में ही मैं पहली बार नोएडा आया था। यह तस्वीर 29 जुलाई 2010 को ली गई थी।

फुलचुन भाईजी के साथ आदि


ये हैं आदि के प्यारे फुलचुन भाईजी। यह तस्वीर 15 जुलाई 2010 को ली गई थी।

मसूरी का टूर


मम्मी, पापा और फुआ के साथ आदि। उस समय मसूरी में खूब बारिश हो रही थी। इसलिए आदि पापा की गोद में दुबक गया। यह तस्वीर 15 अगस्त 2011 को ली गई थी।

नाना-नानी के साथ आदि


दरभंगा स्टेशन पर नानी, नाना, मामा और मम्मी के साथ आदि। आदि स्टेशन पर पापा को छोड़ने आया था। यह तस्वीर 3 मार्च 2010 को ली गई थी।

मसूरी का टूर


मम्मी, पापा और फुआ के साथ आदि। उस समय मसूरी में खूब बारिश हो रही थी। इसलिए आदि पापा की गोद में दुबक गया। यह तस्वीर १५ अगस्त २०११ को ली गई थी।

अपनी मां के साथ आदि


ये है मेरी मां। मैं प्यार से मम्मी कहकर बुलाता हूं। यह तस्वीर ४ मार्च २००९ को ली गई थी।

दादी के साथ आदि


अपनी दादी के साथ मस्ती करता आदि। यह तस्वीर ४ फरवरी २००९ को ली गई थी।

आदि के छत का नजारा


यह है आदि के छत का खूबसूरत नजारा। यह तस्वीर २८ फरवरी २०१० की है।

बाबा के साथ आदि


बाबा की गोद में आखिर क्या देख रहा है आदि। यह तस्वीर २७ फरवरी २०१० की है।

बाबा के साथ आदि


यह तस्वीर २७ फरवरी २०१० की है। बाबा की गोद में मस्ती करता आदि।

बाबा के साथ आदि


यह तस्वीर आदि २७ फरवरी २०१० की है। बाबा की गोद में खेलता आदि।

रविवार, अक्तूबर 02, 2011

बदमाशी की तरकीबें

हेलो दोस्तो....आप सोच रहे होंगे कि मैं दुआ-सलाम करने के बाद अचानक कहां गायब हो गया। दरअसल बात यह है कि बीच में मेरी तबियत जरा बिगड़ गई। बुखार ऐसी लगी कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहा थी।

मेरी सेहत बिगड़ने से मुझसे ज्यादा परेशान तो मम्मी-पापा हो गए। वे मुझे डॉक्टर आंटी के पास दिखाने ले गए। पहले दिन तो आंटी ने सिर्फ मेरा बुखार जांच कर दवा दी। फिर उन्होंने मुझे तीन दिन बाद आने को कहा। ये तीन दिन कैसे बीते...पूछिए मत।

दिन में तीन-चार बार दवा खाना और उसपर से वह भी कड़वी....। मैंने तो पहले डोज में ही सरेंडर कर दिया, पर मम्मी मानने वाली तो थी नहीं। पहले प्यार से और फिर डांट-डपटकर मुझे दवा पिलानी शुरू की। आपलोगों के प्यार-दुलार और दवा खूब रंग लाई और मेरी सेहत में काफी सुधार आया।

तीसरे दिन जब मैं डॉक्टर आंटी के पास पहुंचा तो मेरी तबियत पहले के मुकाबले ठीक थी, पर पूरी तरह सुधरी नहीं थी। पर आज के दिन कड़ा इम्तिहान होना था। आंटी ने मेरा ब्लड टेस्ट लेने का फैसला किया। एक बड़ी सुई मेरी बांह में चुभो दी गई। थोड़ा सा दर्द हुआ और फिर मैं मम्‍मी की गोद में दुबक गया।

वैसे अब मेरी दवा खत्म हो गई है और मैं धीरे-धीरे पहले की तरह बदमाशी करने में जुट गया हूं।

सबसे पहले मैंने पापा की लाई हुई किताब फाड़ी। मेरी बदमाशी की रूटीन में यूं तो कई शरारतें शामिल है, पर उनमें कुछ खास हैः-

मसलन मोबाइल को जोर से पटकना/फेंकना और टीवी के रिमोट को फेंकना.....। घर के सामान को तीसरे फ्लोर से नीचे फेंकना। इस फेंकी हुई चीज में कुछ भी हो सकती है (इससे मुझे कोई मतलब नहीं)...पापा की पीठ पर बैठकर हुड़दंग मचाना...।

तो दोस्तों...ये है मेरी बदमाशी के कुछ खास नमूने। इसलिए पापा मुझे 'बदमाश' भी बुलाने लगे हैं। यदि आपको बदमाशी की कोई नई तरकीबें मालूम हो तो मुझे जरूर बताइएगा...। आपकी सलाह का मुझे बेसब्री से इंतजार है।