बच्चे मन के सच्चे
सारी जग के आंख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे...
खुद रूठे, खुद मन जाए, फिर हमजोली बन जाए
झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें
इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिए कोई गैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है, सबको बांह पसारे
बच्चे मन के सच्चे...
इंसान जब तक बच्चा है, तब तक समझ का कच्चा है
ज्यों-ज्यों उसकी उमर बढ़े, मन पर झूठ का मैल चढ़े
क्रोध बढ़े, नफरत घेरे, लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापों से हटकर अपनी उमर गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे...
तन कोमल मन सुंदर, हैं बच्चे बड़ों से बेहतर
इनमें छूत और छात नहीं, झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तकरार नहीं, मजहब की दीवार नहीं
इनकी नजरों में एक हैं, मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
बच्चे मन के सच्चे...
यह खूबसूरत गीत फिल्म 'दो कलियां' की है। मशहूर संगीतकार रवि ने इसे मधुर धुनों से सजाया। लता की आवाज और साहिर लुधियानवी के बोल ने इसमें मधुर रस घोल दिए।
सारी जग के आंख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
बच्चे मन के सच्चे...
खुद रूठे, खुद मन जाए, फिर हमजोली बन जाए
झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें
इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिए कोई गैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है, सबको बांह पसारे
बच्चे मन के सच्चे...
इंसान जब तक बच्चा है, तब तक समझ का कच्चा है
ज्यों-ज्यों उसकी उमर बढ़े, मन पर झूठ का मैल चढ़े
क्रोध बढ़े, नफरत घेरे, लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापों से हटकर अपनी उमर गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे...
तन कोमल मन सुंदर, हैं बच्चे बड़ों से बेहतर
इनमें छूत और छात नहीं, झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तकरार नहीं, मजहब की दीवार नहीं
इनकी नजरों में एक हैं, मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
बच्चे मन के सच्चे...
यह खूबसूरत गीत फिल्म 'दो कलियां' की है। मशहूर संगीतकार रवि ने इसे मधुर धुनों से सजाया। लता की आवाज और साहिर लुधियानवी के बोल ने इसमें मधुर रस घोल दिए।
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